NEELAM GUPTA

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लेखनी कहानी -24-Dec-2021आईना।

देखते ही आईना ,मेरा आईना चूर-चूर हो गया।
जो ख्वावो ख्यालो की दुनिया सजा कर आई थी,वही सपना बिखर मेरा चकनाचूर हो गया।

ख्वाब मेरे न सजे किसी के ख्वाबों की मल्लिका मैं हो गई।
उसके ख्वाब सजाने में ,अपनी ख्वाबों को मैं
भूल गई।

उसके ख्वाबों को ही ,बना लिया मैंने अपना सपना ।
सजा लिया अपने आप को , देखकर आईने में उसका मुखड़ा।

न अब मैं वह हूं ,न वही मेरा आईना है।
परछाई  बनकर रह गई, मेरा अस्तित्व ही खत्म हो गया।


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2 Comments

Swati chourasia

24-Dec-2021 03:13 PM

Very nice 👌

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Wow mam😍 shandar

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