लेखनी कहानी -24-Dec-2021आईना।
देखते ही आईना ,मेरा आईना चूर-चूर हो गया।
जो ख्वावो ख्यालो की दुनिया सजा कर आई थी,वही सपना बिखर मेरा चकनाचूर हो गया।
ख्वाब मेरे न सजे किसी के ख्वाबों की मल्लिका मैं हो गई।
उसके ख्वाब सजाने में ,अपनी ख्वाबों को मैं
भूल गई।
उसके ख्वाबों को ही ,बना लिया मैंने अपना सपना ।
सजा लिया अपने आप को , देखकर आईने में उसका मुखड़ा।
न अब मैं वह हूं ,न वही मेरा आईना है।
परछाई बनकर रह गई, मेरा अस्तित्व ही खत्म हो गया।
Swati chourasia
24-Dec-2021 03:13 PM
Very nice 👌
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𝐆𝐞𝐞𝐭𝐚 𝐠𝐞𝐞𝐭 gт
24-Dec-2021 11:02 AM
Wow mam😍 shandar
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